Thursday, December 19, 2013
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Unknown
क्या आप जानते हैं की हम सभी के घर में कुछ ऐसी घरेलु वस्तुएं होती हैं, जिन पर काफी ज्यादा कीमत के इनश्योरेंस कवर्स का लाभ मिलता है। सबसे खास बात तो ये है कि ये वस्तुएं या तो काफी सस्ती या मुफ्त मिलती हैं। हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसी ही घरेलु वस्तु के बारे में, जिसकी कीमत तो काफी कम है मगर इसकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर 40 लाख रुपए तक के इनश्योरेंस कवर्स मिलने की पेशकश की जाती है। आज के समय में लगभग सभी भारतीय घरों में कुकिंग गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है। इन एलपीजी गैस सिलेंडर की वजह से होने वाले हादसों में अगर किसी व्यक्ति या उसके प्रापर्टी को नुकसान पहुंचता है, तो उसे या उसके परिजनों को 40 लाख रुपए तक के इनश्योरेंस कवर का मुआवजा मिलने का प्रवधान है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की वेबसाइट के अनुसार - एचपी गैस के सभी रजिस्टर्ड कस्टमर, अपने रजिस्टर्ड स्थान पर एलपीजी गैस से होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए बीमाकृत हैं। इससे संबंधित जानकारी सभी वितरण केंद्रों और ग्राहक सेवा सेल पर उपलब्ध है। भारत में लगभग सभी ऑयल और गैस कंपनियों ने अपने ग्राहकों के लिए बीमा की व्यवस्था कर रखी है। मगर डीलर ग्राहकों को इसकी जानकारी देने से परहेज करते हैं। क्योंकि, डीलर को ही बीमा की पूरी किस्त भरनी होती है और ग्रहकों को एक रुपया भी नहीं देना पड़ता। हर साल ऐसी दुर्घटनाओं के बहुत कम ही केस सामने आते हैं। इस स्कीम के तहत रजिस्टर्ड कस्टमर के साथ-साथ रजिस्टर्ड प्रापर्टी भी इस बीमा योजना के अंदर आती है। इन दोनों में से किसी को भी अगर एलपीजी गैस के कारण क्षति पहुंचती है तो बीमा के जरिए पैसे मिलेंगे।
इस बीमा का लाभ उठाने के लिए अपने डीलर के पास रिपोर्ट दर्ज करवानी पड़ती है। इसके बाद बीमा कंपनी 30 दिनों के अंदर अपनी सर्वे रिपोर्ट तैयार करती है और तब जाकर ग्राहक को पैसे मिलते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान -
आपके कुकिंग गैस सिलेंडर के साथ लगने वाले उपकरण (गैस पाइप, रेगुलेटर, चूल्हा, इत्यादि) ISI मार्क वाले नहीं हैं तो बीमा खारिज किया जा सकता है। अपने डीलर से सालाना जांच के लिए कहें। क्योंकि, अगर आपके गैस उपकरणों की जांच लंबे समय से नहीं हुई थी, तो उस स्थिति में भी बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। एनपीसीआई वेबसाइट के अनुसार - बीमाकर्ता को 30 दिनों के अंदर ही बीमा क्लेम की सारी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना पड़ता है। क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए फ्रॉड से बचने के लिए यह ग्राहकों की जिम्मेदारी है कि वो अपनी पूरी जानकारी सही-सही जमा करें।सौजन्य:दैनिक भास्कर
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